“गुलाबी आँख” – नेत्रश्लेष्मलाशोथ | “Pinkeye” – Conjunctivitis
प्रस्तावना
आँखें हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण अंग हैं। इनमें किसी भी प्रकार की समस्या न केवल हमारे दृष्टि स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि हमारे दैनिक जीवन पर भी सीधा असर डालती है। “गुलाबी आँख” या नेत्रश्लेष्मलाशोथ (Conjunctivitis) एक ऐसी सामान्य लेकिन असुविधाजनक स्थिति है जिससे हर उम्र का व्यक्ति प्रभावित हो सकता है। इसे आमतौर पर “पिंक आई (Pinkeye)” के नाम से भी जाना जाता है।
यह बीमारी तब होती है जब आँख की सतही झिल्ली (Conjunctiva), जो आँख के सफेद हिस्से और पलकों की अंदरूनी परत को ढकती है, सूज जाती है। इस स्थिति में आँखें गुलाबी या लाल दिखाई देने लगती हैं। कई बार इसके साथ खुजली, जलन, पानी आना या चिपचिपा स्राव (Discharge) भी देखने को मिलता है।
कंजंक्टिवाइटिस को आमतौर पर तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जाता है:
- वायरल (Viral)
- बैक्टीरियल (Bacterial)
- एलर्जिक (Allergic)
इसके अलावा, कुछ अन्य कारण भी हैं जिनसे गुलाबी आँख हो सकती है जैसे – धूल, प्रदूषण, कॉन्टैक्ट लेंस का अत्यधिक उपयोग, विटामिन की कमी, या रसायनों के संपर्क में आना।
कंजंक्टिवाइटिस के प्रकार
1. वायरल कंजंक्टिवाइटिस
- यह सबसे आम प्रकार है और आमतौर पर सर्दी-जुकाम जैसे विषाणुओं से फैलता है।
- यह अत्यधिक संक्रामक होता है और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क, छींक, खाँसी या दूषित सतहों को छूने से तेजी से फैलता है।
- लक्षण: पानी जैसा स्राव, हल्की खुजली, लालिमा, और कभी-कभी बुखार या गले में खराश।
- अवधि: प्रायः 4–7 दिन में स्वयं ठीक हो जाता है लेकिन कुछ मामलों में 2 हफ्ते तक रह सकता है।
2. बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस
- यह प्रकार बैक्टीरिया जैसे Staphylococcus aureus, Streptococcus pneumoniae आदि से होता है।
- लक्षण: पीला या हरा गाढ़ा स्राव, आँखों का चिपकना (विशेषकर सुबह उठने पर), तेज लालिमा।
- संक्रमण का कारण: आँख छूने से पहले हाथ न धोना, संक्रमित मेकअप का उपयोग, या दूषित पानी।
- यदि सही इलाज न हो तो यह कॉर्निया को नुकसान पहुँचा सकता है।
3. एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
- यह प्रकार संक्रामक नहीं होता।
- यह धूल, परागकण, परफ्यूम, दवाइयाँ या कॉन्टैक्ट लेंस जैसी एलर्जिक चीजों से होता है।
- लक्षण: दोनों आँखों में खुजली, आँसू बहना, पलकों का सूज जाना, और लगातार छींक आना।
- यह मौसमी (सीज़नल) या सालभर (पेरिनियल) भी हो सकता है।
4. अन्य कारण
- रासायनिक जलन – जैसे क्लोरीन युक्त स्विमिंग पूल का पानी या सफाई उत्पाद।
- अत्यधिक धूप/पराबैंगनी किरणें – सीधी धूप में आँखों का जलना।
- विटामिन ए की कमी – विशेषकर बच्चों में आँखों के संक्रमण का खतरा।
- कॉन्टैक्ट लेंस का अनुचित उपयोग – देर तक पहना हुआ लेंस या गंदा लेंस संक्रमण बढ़ा सकता है।
- बाहरी वस्तुएँ (Foreign body) – जैसे धूल या रेत का कण आँख में जाना।
कंजंक्टिवाइटिस के सामान्य लक्षण
- आँखों का लाल या गुलाबी हो जाना
- आँसू आना या पानी बहना
- खुजली और जलन
- आँखों से स्राव (पानी, मवाद या गाढ़ा पदार्थ)
- सुबह उठते समय पलकें चिपकी होना
- रोशनी के प्रति संवेदनशीलता (Photophobia)
- पलकों की सूजन
- धुंधला दिखाई देना (कभी-कभी)
निदान (Diagnosis)
- शारीरिक परीक्षण (Physical Examination): डॉक्टर आँखों को देखकर प्रारंभिक पहचान कर सकते हैं।
- इतिहास लेना (Medical History): हाल की एलर्जी, संक्रमण या संपर्क का पता लगाया जाता है।
- लैब टेस्ट: यदि मामला गंभीर है तो आँख से निकले स्राव का परीक्षण कर यह पता लगाया जाता है कि संक्रमण बैक्टीरियल है या वायरल।
उपचार (Treatment)
1. वायरल कंजंक्टिवाइटिस का इलाज
- प्रायः स्वयं ठीक हो जाता है।
- आराम, आँखों को साफ रखना और ठंडे पानी की सिकाई।
- कृत्रिम आँसू (Artificial tears) का उपयोग।
- संक्रमण के दौरान दूसरों से दूरी बनाए रखना।
2. बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस का इलाज
- डॉक्टर द्वारा दी गई एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स या मलहम।
- संक्रमित व्यक्ति को अपना तौलिया, रुमाल या तकिया साझा नहीं करना चाहिए।
- समय पर इलाज से यह 2–5 दिनों में ठीक हो सकता है।
3. एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस का इलाज
- एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों से दूर रहना।
- एंटी-एलर्जिक आई ड्रॉप्स का प्रयोग।
- ठंडी सिकाई से आराम मिल सकता है।
- गंभीर मामलों में डॉक्टर स्टेरॉयड आई ड्रॉप्स भी दे सकते हैं।
4. घरेलू देखभाल
- बार-बार हाथ धोना।
- आँखों को रगड़ने से बचें।
- संक्रमित आँख पर गीला कपड़ा रखकर सफाई करना।
- यदि कॉन्टैक्ट लेंस का प्रयोग करते हैं तो संक्रमण के दौरान इन्हें न पहनें।
बचाव के उपाय (Prevention)
- हाथों को बार-बार साबुन से धोएं।
- आँखों को गंदे हाथों से न छुएँ।
- तकिया, तौलिया या रूमाल साझा न करें।
- स्कूल/ऑफिस में यदि संक्रमण है तो दूसरों से दूरी बनाए रखें।
- कॉन्टैक्ट लेंस का सही तरीके से उपयोग और सफाई करें।
- धूल और प्रदूषण से बचने के लिए सनग्लास का प्रयोग करें।
निष्कर्ष (Conclusion)
गुलाबी आँख या नेत्रश्लेष्मलाशोथ एक सामान्य समस्या है लेकिन इसकी अनदेखी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है। अधिकांश मामलों में यह हल्की और स्वयं ठीक हो जाने वाली बीमारी है, लेकिन समय पर पहचान और सही उपचार बेहद आवश्यक है। स्वच्छता की आदतें, व्यक्तिगत वस्तुओं का साझा न करना और डॉक्टर की सलाह मानना हमें इस संक्रमण से बचा सकता है।
👉 सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Sentiment):
सही जानकारी और थोड़ी सावधानी से गुलाबी आँख को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। यह हमें स्वास्थ्य जागरूकता और स्वच्छता के महत्व की याद भी दिलाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: क्या गुलाबी आँख संक्रामक है?
हाँ, विशेषकर वायरल और बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस बहुत संक्रामक होते हैं।
प्रश्न 2: गुलाबी आँख कितने दिन में ठीक हो जाती है?
वायरल संक्रमण 1–2 हफ्ते में, जबकि बैक्टीरियल संक्रमण 2–5 दिनों में दवा से ठीक हो सकता है।
प्रश्न 3: क्या गुलाबी आँख से दृष्टि कमजोर हो सकती है?
अधिकांश मामलों में नहीं, लेकिन यदि संक्रमण कॉर्निया तक फैल जाए तो अस्थायी धुंधलापन आ सकता है।
प्रश्न 4: बच्चों में गुलाबी आँख ज़्यादा क्यों होती है?
क्योंकि वे अक्सर हाथ-मुँह-आँखों को बार-बार छूते हैं और स्वच्छता पर कम ध्यान देते हैं।
प्रश्न 5: क्या घरेलू उपचार पर्याप्त हैं?
हल्के मामलों में आराम, ठंडी सिकाई और सफाई मदद कर सकती है। लेकिन बैक्टीरियल संक्रमण में एंटीबायोटिक ड्रॉप्स ज़रूरी होते हैं।
प्रश्न 6: क्या गुलाबी आँख होने पर टीवी या मोबाइल देखना चाहिए?
लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आँखों पर दबाव बढ़ सकता है। बेहतर है आराम करें और स्क्रीन टाइम कम रखें।